Sunday, August 29, 2010

एक सुबह

एक सुबह खुशनुमा सी सामने है झील से लहराती


हवाओं का वोह मंद मंद चलना

पक्षियों का उन्मुक्त चेह्कना

रोम रोम को आछादित कर देता है

जीवन में मनो नयी आशाओं का संचार कर देता है

हर दिन की नयी शुरुवात है ये सुबह

मानव में कर्म का आगाज़ है ये सुबह

पल पल में इंसान को जगती है ये सुबह

हमारी ज़िन्दगी का नियमित आधार है ये सुबह

हर दिन आने वाली ये सुबह

मुझे कुछ सिखाती है

मेरा आने वाला हर दिन आचा हो

ये आभाष कराती है

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