Wednesday, September 1, 2010

फर्क इतना सा था

फर्क इतना सा था

तेरी  डोली  उठी , मेरी मय्यत  उठी ,


फूल  तुझ  पर  भी  बरसे , फूल  मुझ  पर  भी  बरसे ,

फर्क  सिर्फ  इतना  सा  था

तू  सज  गयी , मुझे  सजाया  गया  .

तू  भी  घर  को  चली ,  मैं  भी    घर  को  चला ,

फर्क  सिर्फ  इतना  सा  था

तू  उठ  के  गयी , मुझे  उठाया  गया  .
महफ़िल  वहां  भी  थी , लोग  यहाँ  भी  थे ,
फर्क  सिर्फ  इतना  सा  था

उनका  हसना  वहां ,इनका  रोना  यहाँ .
क़ाज़ी  उधर  भी  था , मोलवी  इधर  भी  था ,
दो  बोल  तेरे  पड़े , दो  बोल  मेरे  पड़े ,
तेरा  निकाह  पड़ा , मेरा  जनाज़ा  पड़ा ,

तुझे  अपनाया  गया  , मुझे दफनाया गया .


फर्क सिर्फ इतना सा था

1 comment:

  1. Bahut saral shabdo mai kintu adhbhut rachna,
    is rachna ke liye badhaii

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