फर्क इतना सा था
तेरी डोली उठी , मेरी मय्यत उठी ,
फूल तुझ पर भी बरसे , फूल मुझ पर भी बरसे ,
फर्क सिर्फ इतना सा था
तू सज गयी , मुझे सजाया गया .
तू भी घर को चली , मैं भी घर को चला ,
फर्क सिर्फ इतना सा था
तू उठ के गयी , मुझे उठाया गया .
महफ़िल वहां भी थी , लोग यहाँ भी थे ,
फर्क सिर्फ इतना सा था
उनका हसना वहां ,इनका रोना यहाँ .
क़ाज़ी उधर भी था , मोलवी इधर भी था ,
दो बोल तेरे पड़े , दो बोल मेरे पड़े ,
तेरा निकाह पड़ा , मेरा जनाज़ा पड़ा ,
तुझे अपनाया गया , मुझे दफनाया गया .
फर्क सिर्फ इतना सा था
Bahut saral shabdo mai kintu adhbhut rachna,
ReplyDeleteis rachna ke liye badhaii