Tuesday, August 31, 2010

सफ़र जिंदिगी का

कहते है जिंदगी जीने का नाम है प्रयास
कर्म व मनोबल इसके कई आयाम है
एक मकसद को मन मे संजोय हुए कर्म
व संकल्प की लडिया मन में पिरोये हुए
निरंतर चलते जाना ही हमारा काम है
पथ मे काँटों से घबराना नहीं है
क्योकि मंजिले बाह फैला  कर बैठी है
तभी मिलता हमें सुखद परिणाम है ,
जिंदगी के सफ़र में मिलते है कई हम सफ़र ,
सफ़र इक पर मकसद अनेक
राहगीर बन जाते है अपने
उनमे तर्क वितर्क  हो जाये अगर ,
यही तो कहलाता है इक सफ़र जिंदिगी का
और यही तो हमें दिखाता है गुमनाम रास्तो में पथ रौशनी का 

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